कालसर्प दोष पूजा एक प्रकार की हिन्दू धर्म में की जाने वाली पूजा है जो ज्योतिष शास्त्र में आती है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य यह माना जाता है कि जन्मकुंडली में अगर कालसर्प योग या दोष हो तो उसे शांत करने के लिए की जाती है। कालसर्प दोष क्या होता है? कालसर्प दोष ज्योतिष में एक ऐसा योग है जब कुंडली में सभी नौ ग्रह एक ही ओर स्थित होते हैं और बाहर के दो ग्रह उनके बीच में आते हैं। इसे कालसर्प दोष कहते हैं और इसे मान्यता है कि यह दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, विवाह में देरी, करियर समस्याएं आदि। कालसर्प दोष पूजा कैसे की जाती है: कालसर्प दोष पूजा को किसी पंडित या धार्मिक गुरु के मार्गदर्शन में किया जाता है। पूजा में धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है और इसके लिए विशेष प्रकार के पूजा सामग्री जैसे कि फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य, आदि का उपयोग होता है। पूजा में मंत्रों का जाप भी किया जाता है जो कालसर्प दोष को निवारण करने के उद्देश्य से होते हैं।
पंडित अशोक शास्त्री एक विशेषज्ञ ज्योतिषी हैं जिनका ज्ञान ज्योतिष शास्त्र में विश्वासयोग्यता के साथ प्रसिद्ध है। उन्होंने विभिन्न धार्मिक आयोजनों में भाग लेकर लोगों की मदद की है और कालसर्प दोष पूजा भी उनके आयोजनों में से एक है। कालसर्प दोष पूजा वह आयोजन है जिसमें किसी कुंडली में कालसर्प दोष होने पर उसकी शांति के लिए की जाती है। यह मान्यता है कि कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में बिगड़चुके कार्यों को सुधारने में मदद कर सकता है और सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सहायक हो सकता है। पंडित अशोक शास्त्री द्वारा आयोजित कालसर्प दोष पूजा में विशेष पूजा सामग्री का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य, आदि। उनके मार्गदर्शन में मंत्रों का जाप भी किया जाता है जो कालसर्प दोष को निवारण करने के उद्देश्य से होते हैं। कालसर्प दोष पूजा के माध्यम से विश्वास किया जाता है कि यह दोष व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है। यह पूजा उन लोगों के लिए भी की जा सकती है जो अपने कार्यों में बाधाएं महसूस कर रहे हैं या जिनकी कोई विशेष मनोकामनाएं अवश्य पूरी नहीं हो रही हैं।
कालसर्प दोष पूजा एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक प्रथा है जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति के जन्मकुंडली में कालसर्प योग या दोष के असामान्य प्रभाव को दूर करने के लिए की जाती है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि व्यक्ति को जीवन में अधिक से अधिक सफलता और सुख-शांति मिल सके। यह पूजा मुख्य रूप से उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर की जाती है, जो महाकाल भगवान की प्रमुख श्रद्धालुओं की एक प्रमुख धार्मिक स्थली है। यह पूजा आमतौर पर ज्योतिष विशेषज्ञों द्वारा सिफारिश की जाती है जब व्यक्ति की जन्मकुंडली में कालसर्प दोष का प्रकोप होता है। यह पूजा शस्त्रों और पूजा सामग्री की विशेष विधियों के साथ की जाती है जिसमें पुजारियों द्वारा प्रमुख आरती, मंत्र जाप और हवन के अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। कालसर्प दोष पूजा एक प्रमुख ज्योतिषीय पूजा है जो हिन्दू धर्म में किया जाता है। यह पूजा विशेष रूप से ज्योतिष शास्त्र में मान्यता प्राप्त कालसर्प दोष को शांत करने के उद्देश्य से की जाती है। कालसर्प दोष का मतलब होता है कि कुंडली में सभी नौ ग्रह एक ही ओर स्थित होते हैं और बाहर के दो ग्रह उनके बीच में आते हैं। इसे मान्यता है कि यह दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, विवाह में देरी, करियर समस्याएं आदि। कालसर्प दोष की मान्यता है कि इसके कारण व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की अडचनें आती हैं। यह दोष किसी के जीवन में सकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है, लेकिन व्यक्ति की निश्चित अवस्थाओं में यह संकेतक हो सकता है कि कालसर्प दोष की उपस्थिति है। कालसर्प दोष पूजा का मुख्य उद्देश्य यह माना जाता है कि यह दोष व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। यह पूजा उन लोगों के लिए भी की जा सकती है जो अपने कार्यों में बाधाएं महसूस कर रहे हैं या जिनकी कोई विशेष मनोकामनाएं अवश्य पूरी नहीं हो रही हैं। उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा के दौरान, प्रमुख रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है जिन्हें हिन्दू धर्म में माना जाता है कि वे कालसर्प दोष को नियति से मिटा सकते हैं। यह पूजा संकेतिक रूप में व्यक्ति के जीवन में समस्याओं को दूर करने के लिए आशीर्वाद प्रदान करती है और उसके भविष्य को सुरक्षित करने का प्रयास करती है। इस पूजा का आयोजन उज्जैन में विशेष रूप से किया जाता है क्योंकि यहाँ पर मान्यता है कि महाकाल भगवान के आशीर्वाद से यह पूजा और भी प्रभावी होती है। यहाँ की पवित्र वातानुकुष्ठ जल से नाग देवता की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति की समस्याओं में उबार हो सके। संक्षेप में कहें तो, कालसर्प दोष पूजा उज्जैन के मंदिर में कालसर्प योग या दोष से मुक्ति प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाती है। यह पूजा ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं और हिन्दू धर्म के परंपरागत अनुसार की जाती है और विशेष रूप से उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर मंदिर में आयोजित की जाती है।
पंडित अशोक शास्त्री जो को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी, पंडित जी संगीतमय श्रीमद भागवत कथा गायन वाचन भी करते हैं के गुरुजनों तथा पिताजी द्वारा प्राप्त हुयी है,
पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।